भारत कोरोना वायरस के प्रकोप से सुरक्षित है. दिल्ली के छावला स्थित आईटीबीपी कैंप में आधे से ज्यादा एहतियातन रोके गए लोगों को कैंप से जाने के लिए कह दिया गया है. मेडिकल टीम ने रोके गए लोगों को एक हेल्थ सर्टिफिकेट भी दिया और कहा कि अब आप जाने के लिए स्वतंत्र हैं.
कोरोना वायरस से जूझ रहे चीन के वुहान शहर से भारत सरकार ने 650 भारतीय और 7 मालदीव के लिए नागरिकों को एयलिफ्ट किया था. उनमें से 409 लोगों के लिए छावला में कैंप तैयार किया गया था, जहां उनकी निगरानी हो रही थी. सोमवार को लगभग 200 लोगों को ठीक पाया गया और उन्हें कहा गया कि वे अब जा सकते हैं. कैंप से डिस्चार्ज लोगों में कई छात्र, योग प्रशिक्षक, बिजनेसमैन और प्रोफेसर भी शामिल हैं.
1 फरवरी जिन लोगों को पहली फ्लाइट से वुहान से भारत लाया गया था उनमें इनाया भंडारी भी शामिल थीं. इनाया की उम्र केवल 2 साल की है. वुहान में इनाया की माता नूतन भंडारी और पिता धीरेंद्र योग शिक्षक हैं. अपने अनुभवों को साझा करते हुए नूतन ने कहा, 'हम कोरोना वायरस के बारे में दिसंबर 2019 से ही सुन रहे थे. तब तक यह इतना खतरनाक नहीं था. लेकिन जनवरी के अंत तक मामला गंभीर हो गया था. हमने भारतीय एंबेसी से संपर्क किया. उनका रवैया बेहद सकारात्मक रहा, उन्होंने मदद भी की.'
उन्होंने कहा, 'भारतीय टीम मददगार रही. चीन के भी अधिकारियों ने हमें स्थिति के बारे में जानकारी दी.' पूरे परिवार को वुहान से भारत लाया गया. 17 दिनों तक आईटीबीपी के छावला कैंप में निगरानी शिविर में रखा गया. अब उन्हें घर जाने के लिए हरी झंडी मिल गई है.
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नूतन ने कहा, 'एक छोटी बच्ची की वजह से हालात कठिन थे. 23 जनवरी के बाद से जैसे ही चीन का नया साल शुरू हुआ, सब कुछ बंद हो रहा था. मेट्रो बंद, एयरपोर्ट बंद थीं. हालांकि छोटी दुकानें खुली रहीं, जहां से खाना मिल सकता था.'
फिर वुहान लौटेंगे लोग
उत्तराखंड की एक अन्य योग शिक्षिका अनामिका केवल तीन महीने के लिए वुहान में थीं. उनकी क्लासेज की शुरुआत ही होने वाली थी जब उन्हें अपने बैग पैक करने को बोला गया. उन्होंने कहा, 'मैं कम वक्त के लिए वहां रही. लेकिन में जल्द ही फिर से काम पर लौटूंगी. वहां यह प्रतिस्पर्धा का काम है. मैं जानती हूं कि ऑनलाइन क्लासेज हैं, लेकिन मैं मानती हूं कि योग इंसान के लिए बेहतर ख्याल है. मैं वहां जाने से पहले यहां कुछ दिन और रहूंगी.'